सोमवार, 19 जुलाई 2010

अनाथ जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न





१८ जुलाई २०१०। दिन रविवार। आज सिद्धपीठ हनुमान मंदिर रघुवीर नगर,नई दिल्ली , में अनाथ लड़कियों की शादी का आयोजन था। इस सामूहिक विवाह के आयोजन में तीन जोड़ों का विवाह हिन्दू रीति -रिवाज के अनुसार सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।संस्था द्वारा किये गए इस सामाजिक कार्य में संस्था की सहयोगी रंजीता भसीन और मंदिर कमेटी का सहयोग महत्वपूर्ण योगदान रहा।पंडाल से लेकर खाने-पीने का सारा इन्तेजाम उन्होंने जिस सहयोगी भूमिका के साथ निभाया सराहनीय है।

आरती और दीपक के विवाह में कन्या-दान की महत्वपूर्ण भूमिका संस्था के सहयोगी,शुभचिंतक श्री मुनीश मदान एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पूनम मदान जी ने निभाया.इस विवाह के लिए उन्होंने संस्था को २५ हजार रूपये का आर्थिक सहयोग देकर लड़की के सभी सामान लेने में सहायता की।

राशि अपार्टमेन्ट पिछले कई वर्षों से संस्था के साथ सहयोगी के रूप में रहा है। संस्था राशि अपार्टमेन्ट के अध्यक्ष श्रीमान गुप्ता जी ,सचिव श्रीमान बहल साहब एवं श्रीमान एम्.जी.माथुर साहब के पूर्ण सहयोग के लिए सदैव आभारी रहेगी। जिस प्रकार अध्यक्ष महोदय और सचिव महोदय एक-एक व्यक्ति से संपर्क करके संस्था हेतु साधन मुहैय्या कराते हैं,संस्था के लिए सम्माननीय हैं।






मंगलवार, 29 जून 2010

मंहगाई पर सरकार ध्यान दे

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई सरकारी निकायों को निजी हाथों में सौंप कर उनका निजीकरण पहले ही कर चुकी है जिसका खामियाजा देश की वह जनता भुगत रही है जो गरीबी रेखा के आस-पास से गुजरती है और जिसकी संख्या देश की आबादी का एक तिहाई से नीचे तो नहीं ही है। दिल्ली,मुंबई,कोलकाता,मद्रास और बंगलौर जैसे महानगरों में रहने वाले लोगों का जिस प्रकार का जीवन स्तर है वही जीवन स्तर इन महानगरों से दूर बसने वाले छोटे नगरों,उप-नगरों,कस्बों और गावों में जी रहे उन लोगों का नहीं है। इन महानगरों में बसने-रहने वाला निम्न वर्ग,वहां के बसने वाले मध्यम वर्ग की तुलना में आर्थिक धरातल पर उनसे सबल होता है।उच्च वर्ग-मध्यम-वर्ग और निम्न-वर्ग की आर्थिक स्थितियों में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है इसे समझना इन परिस्थितियों में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब मंहगाई का स्तर अपनी सीमा पार कर चुका हो। आर्थिक रूप से उच्च -वर्ग के लिए मंहगाई कान पर जूं रेंगने के जैसी है मध्यम - वर्ग के लिए तनाव का कारण बन सकती है लेकिन निम्न वर्ग के लिए आज अस्तित्व का प्रश्न बन चुकी है। महानगरों में बसने वाला निम्न वर्ग सामान्यतया अपनी शारीरिक क्षमता को ही अर्थ में परिवर्तित करता है,गिने-चुने ही होंगे जो सरकारी महकमें में काम कर के भविष्य में पेंशन का इन्तेजाम कर पाने में सक्षम होंगे। ऐसी स्थिति में यदि खाने -पीने- जीने की रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं के मूल्य में इस तरह बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी तो महानगरों से लेकर दूर-दराज़ के गावों में बसने वाली जनता का भविष्य क्या होगा।

सरकार को चाहिए की मंहगाई की लगाम अपने हाथों में रक्खे ताकि बेतहाशा बढ़ने वाली मंहगाई भूखे शेर की तरह दौड़ती हुई जनता को और उसके भविष्य को न लील जाये। जीवन के लिए जो मूलभूत आवश्यकताएं और मांग स्पष्ट हैं सरकार उन्हें अपने नियंत्रण में रक्खे तो सामाजिक सामंजस्य बना रहेगा,नहीं तो भूखी जनता के भीतर का असंतोष अशांति, आत्महत्या,सामाजिक अपराध जैसे रूपों में परिवर्तित होने लगेगा।

सोमवार, 7 जून 2010

यह कैसा न्याय है

पिछले कुछ समय से अदालतों के न्यायपूर्ण फैसलों से लगने लगा था कि चलो जंग खा रहे लोकतंत्र का एक स्तम्भ तो दुरुस्त हो रहा है। उम्मीद होने लगी थी कि अन्य स्तम्भ भी देखा-देखी दुरुस्त हो जायेंगे और नहीं हुए तो न्यायपालिका उन्हें सुधार ही देगी। भारत में औद्योगिक इतिहास की बहुत बड़ी दुर्घटना के रूप में भोपाल गैस कांड को याद किया जाता रहेगा। आज इस दुर्घटना पर २५ वर्ष बाद अदालत ने हजारों बेगुनाहों की मौत के लिए मात्र ७ को दोषी माना और जिस तरह २-२ वर्ष की सजा,१-१ लाख रूपये का जुर्माना लगाया उससे तो न्याय पर भरोसा लगाये उन पीड़ित परिवारों के साथ-साथ पूरे देश की आह निकल गयी। दोषी करार दिए गए गुनाहगारों को २५-२५ हजार के निजी मुचलके पर छोड़ कर अदालत ने सचमुच आज एक एतिहासिक न्याय पद्धति का मार्ग प्रशस्त किया है। अदालत द्वारा दिया गया आज का न्याय मानवीय जीवन के प्रति एक घिनौना मज़ाक़ है,एक ऐसा न्याय जो स्वयं न्याय के प्रति बहुत बड़ा अन्याय है।

भोपाल की यूनियन कार्बाइड कंपनी का चेयरमैन वारेन एंडरसन इस मुक़दमे का अहम् अभियुक्त अदालत और सी बी आई के दस्तावेज़ में भगोड़ा है ,भारत सरकार को अमेरिका ने बता दिया कि वह उन्हें वहां नहीं मिल रहा है ,सोचने कि बात ये है कि जो अमेरिका दूर अन्य देशो में रह रहे आतंकवादियों को ढूंढ निकालता है वह अपने ही देश में एंडरसन को नहीं ढूंढ पा रहा है।इस एंडरसन की कंपनी को अदालत की तरफ से ५ लाख का जुर्माना लगाया गया है ,इस पहलू को जानते हुए की कंपनी को पता था की प्लांट में कई कमियां हैं दुर्घटना हो सकती है फिर भी असावधानी की गई और इतनी बड़ी त्रासदी हुई।

दुर्घटना के मुख्य गवाहों के बजाय १७८ गवाह लाना ताकि तकनीकी पेचीदगी के कारण न्याय मिलाने में देरी हो,विरोध के बाद भी सभी को अदालत में न प्रस्तुत करना और आज २५ वर्ष के बाद न्याय देते समय न्याय के नाम पर ऐसा छलावा करना क्या मानव जीवन और मानवाधिकारों का हनन नहीं है।न्याय व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास रखने वालो के लिए आज का अदालती फैसला किसी सदमें से कम नहीं है।

बुधवार, 26 मई 2010

बच्चों ने देखा "माई फ्रैंड गणेशा"

आज शोभा गुप्ता जी ने नगली डेरी(पश्चिमी दिल्ली) के शैक्षणिक केन्द्र पर बच्चों के साथ बैठ कर "माई फ्रैंड गणेशा"और "तारे ज़मीन पर" फिल्म लैपटॉप के जरिये देखा.सभी सरकारी-गैरसरकारी स्कूलों में बीते सप्ताह गर्मी की छुट्टियाँ कर दी गई हैं लेकिन बाच्चों की जिद थी कि अगले सप्ताह फिल्म दिखाकर छुट्टी कि जाये। बच्चों को पता रहता है कि जब भी शोभा मैडम आयेंगी और छुट्टी की सूचना देंगी हर एक बच्चे को कुछ कुछ गिफ्ट ज़रूर देकर जाएँगी.''शोभा जी ने बत्ताया उन्होंने यह परम्परा इसलिए बनाई ताकि बच्चे शिक्षा को बोझ समझ कर उसे जीवन में ख़ुशी लाने का माध्यम, उपहार समझें।" वे अपने सभी शैक्षणिक केन्द्रों में बच्चों के साथ समय-समय पर किसी किसी माध्यम से बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ प्यार और उपहार बंटती रहती हैं। ये वह बच्चे हैं जिनके माता - पिता शिक्षा के प्रति उदासीन रहे हैं,लेकिन शोभा जी की पहल के बाद अब वे भी जागरूक हो रहे हैं। इन कार्यों में शोभा गुप्ता जी के साथ जुड़े लोग सहयोगी की भूमिका निभाते हैं।

रविवार, 23 मई 2010

मैँगलोर हादसा

चाइल्ड केयर ,नई दिल्ली।शनिवार को मैंगलोर में हुई विमान दुर्घटना ने सारे देश को शोकाकुल कर दिया.शोभा गुप्ता ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर शोक-सभा की,उन्होंने कहा कि "यह दुर्घटना दुखद तो है ही ,उन के लिए और भी मर्मान्तक पीड़ा देने वाली है जो अपने स्वजनों के शवों को पहचान पाने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं।" इस दुर्घटना के सन्दर्भ में सोमवार को स्कूल बंद रहेगा।

सामाजिक कार्य में राशि अपार्टमेन्ट,द्वारका,नई दिल्ली का योगदान

कल शाम हमारी संस्था के सहयोग में आर्य समाज और यज्ञ-योग ..........ट्रस्ट ने मिलकर हमारा साथ दिया। कल सेक्टर-१,द्वारका,नई दिल्ली के राशि अपार्टमेन्ट में वहां के एम.जी.माथुर साहब,अध्यक्ष गुप्ता जी ,सचिव बहल साहब और श्रीमती सचदेवा जी ने हमारे गरीब बच्चों की शिक्षा सामग्री के लिए लोगों को एकत्र कर हमारे अभियान के बारे में सभी उपस्थित सदस्यों से चर्चा की। ट्रस्ट और आर्य समाज ने हवन किया। शोभा गुप्ता जी ने अपने कथन में सौहाद्र और प्रेम को ही जीवन का सार कहा। शोभा गुप्ता जी पिछ्ले १२ वर्षों से निरंतर असहाय बच्चों के लिये, उनके अधिकारों के लिए प्रयासरत हैं उन्हें उनके प्रयास में सफलता भी मिल रही है। एम.जी.माथुर साहब और उनके सहयोगियों ने संस्था की अध्यक्षा शोभा गुप्ता जी को रू ४२००/-का सहयोग भी प्रदान किया.माथुर साहब कई वर्षों से संस्था के सहयोगी के रूप में शोभा जी के साथ हैं।

गुरुवार, 20 मई 2010

आजकल लोगों में सामाजिक कार्यकर्ता बनकर घूमने का एक फैशन चल पडा है सफ़ेद कुर्ता,पजामा या जींस की पैंट डाल ली और निकल पड़े सड़क पर, किसी की कार में बैट्ठे बस पहुँच गए काफी हाउस में,जोर-जोर से चीखना ,भाषण देना शुरू,बाकी लोग-बाग़ हफ्ते -दो-हफ्ते में समझ जाते हैं की भाई साहेब या बहन जी जरूर नेता हैं या सोसलवर्कर हैं.क्या यह लोग कभी किसी मजदूर के साथ धूप में गिट्टी तोड़ते दिखाई दिए ,कभी पीने के पानी का कुआं खोदते,नहर बनाते,गंदे कपडे पहने बच्चों को नहलाते,गोद में उठाते,पढाते किसी बुजुर्ग को हस्पताल ले जाते,किसी को अत्याचार का शिकार होने से बचाते,किसी भूखे को अपने हिस्से की रोटी खिलते भी दिखाई देंगे या अपने कुरते की सफेदी ही बचाते मिलते रहेंगे और इत्र की खुशबू से महकते,तोता-मैना की तरह चहकते ही नजर आयेंगे.ऐसे मोडल सामाजिक कार्यकर्ताओं की वजह से लोग असलियत से नफ़रत करने लगे हैं.कृपा करें ये लोग ,अपना बहरुपियापन घर के अन्दर आईने तक ही रक्खें,इनकी वजह से आम आदमी एक सामाजिक,निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता को इन ही लोगों का रिश्तेदार समझ कर अपना दर्द नहीं कह पता और अपनी समस्याओं के साथ जूझता रहता है,अन्याय सहता रहता है.